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26 january celebration timing 8:30am to 2:00pm
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राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतिस्पर्धाओं
राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतिस्पर्धाओं में सहभागिता प्रदान करना।
अंतर्राष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं में भाग लेने की तैयारी कर रहे खिलाड़ियों को राष्ट्रीय खेल संघों (एनएसएफ) की सहायता योजना के तहत वित्तपोषित प्रशिक्षण और प्रतिस्पर्धाओं के वार्षिक कैलेंडर (एसीटीसी) के माध्यम से देश-विदेश में उनके प्रशिक्षण और प्रतिस्पर्धी एक्सपोजर के लिए निरंतर सहायता प्रदान की जाती है। इसके अलावा ओलंपिक, एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों जैसे मेगा खेल आयोजनों में पदक की संभावनाओं वाले एथलीटों के विशिष्ट या अनुकूलित प्रशिक्षण की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वर्ष 2014 से ही टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना (टॉप्स) लागू की जा रही है, ताकि उन्हें इन अंतरराष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने में मदद मिल सके। वर्तमान में 98 व्यक्तिगत एथलीट और 2 हॉकी टीम (पुरुष और महिला) ‘टॉप्स कोर ग्रुप’ में शामिल हैं। टॉप्स डेवलपमेंट ग्रुप के तहत 165 विशिष्ट खेल प्रतिभाओं की प्रतिभा की पहचान करने का काम पूरा हो गया है। सरकार ने खेलों में व्यापक भागीदारी और उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के दोहरे उद्देश्यों के साथ ‘खेलो इंडिया कार्यक्रम’ शुरू किया है। इस योजना के तहत खेलों को बढ़ावा देने और देश भर में स्टेडियम, खेल के मैदान, ट्रैक और खेल प्रशिक्षण सहित खेल और बुनियादी सुविधाओं के स्तर में सुधार के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। इस योजना के तहत खेलों को बढ़ावा देने और देश भर में स्टेडियम, खेल के मैदान, ट्रैक एवं खेल प्रशिक्षण सहित खेल और बुनियादी ढांचागत सुविधाओं का स्तर बेहतर करने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। वर्तमान में ‘खेलो इंडिया योजना’ के तहत 2759 एथलीटों को प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता के लिए शामिल किया गया है।
विज्ञान एवं गणित
विज्ञान एवं गणित के प्रति रूचि जाग्रत करना।
उच्च प्राथमिक कक्षाओं के छात्रो में गणित और विज्ञान विषय के प्रति रुचि जागृत करें, जिससे बच्चे इन विषयों में स्वप्रेरित होकर अध्ययन कर सकें। ये कहना था शैक्षिक प्रकोष्ट अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा और बीईईओ सर्वशिक्षा शहर अरविंद कुमार व्यास का। व्यास शुक्रवार को सर्वशिक्षा अभियान द्वारा आयोजित विज्ञान और गणित विषयाध्यापक प्रशिक्षण के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। शिविर प्रभारी उम्मेदराज लक्षकार के निर्देशन में गणित और विज्ञान विषय के अध्यापकों का चार दिवसीय प्रशिक्षण का दूसरा चरण 18 सितंबर से 21 सितंबर तक चलेगा। संदर्भ व्यक्ति ललित जुगतावत ने बताया कि पहले तीन दिन तक विषयगत प्रशिक्षण और चौथे दिन यू डायस का प्रशिक्षण संभागियों को दिया जाएगा। साथ ही इन्हें विज्ञान किट और गणित किट का उपयोग और अन्य विषयगत बारीकियों से रूबरू करवाया जाएगा।
ट्रायबल छात्रों
दुर्गम क्षेत्रों में रह रहे ट्रायबल छात्रों को गुणवत्तायुक्त षिक्षा उपलब्ध कराना।
India Education Budget केंद्रीय बजट में आदिवासी बहुल क्षेत्रों में 750 नए एकलव्य विद्यालय खोले जाने की घोषणा की गई है। ये सभी विद्यालय वर्ष 2022 तक खोले जाएंगे। निश्चित रूप से इनमें से बड़ी संख्या में स्कूल झारखंड को भी मिलेंगे। इससे जनजातीय बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पास के विद्यालयों में ही उपलब्ध हो सकेगी। बजट में एकलव्य विद्यालयों की लागत अब 20 करोड़ से से बढ़ाकर 38 करोड़ रुपये कर दी गई है। पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में यह लागत प्रति विद्यालय 48 करोड़ रुपये कर दी गई है।
प्रतिभावों को निखारना
ट्रायबल के छात्र-छात्राओं की प्रतिभावों को निखारना।
विद्यालयों में अध्ययन छात्र विभिन्न पारिवारिक तथा सामाजिक परिवेश से आत है। उनके धर्म, संप्रदाय, लिंग, भाषा, संस्कृति,आर्थिक स्थिति, पारिवारिक स्थिति यहाँ तक कि बुद्धि, मानसिक क्षमता,संवेगात्मक स्थिति शारीरिक आकार व स्वास्थ्य भी वैयक्तिक विभिन्नता लियेरहता है । इन कारणों से उनकी आवश्यकताएं (Needs) भी भिन्न–भिन्न रहती हैं। निम्न वर्ग तथा निम्न आर्थिक स्थिति से आने वाले विद्यार्थियों को आर्थिक आवश्यकताएं प्रबल होती है। अशिक्षित या अपढ़ निरक्षर परिवारों से आए बालकों के संस्कार व मानसिक स्तर के वैभिन्य के कारण उनकी आवश्यकता भिन्न होती है । टूटे परिवारों से आने वाले छात्र संवेगात्मक समस्याओं से घिरे होने के कारण उनकी संवेगात्मक या मनोवैज्ञानिक आवश्यकताएं भिन्न होती हैं । अहिदीभाषी छात्रों की भाषागत आवश्यकताएं होती हैं। इन आवश्यकताओं की तीव्रता में भी अंतर पाया जाता है । मोटे तौर पर माध्यमिक विद्यालयों में प्रवेशित किशोरावस्था वाले विद्यार्थियों की आवश्यकताओं को हम निम्नलिखित भागों मेंविभाजित कर सकते हैं–








